शनिवार, 24 सितंबर 2016

केसिट बेचने बाला बना बना 'डायरेक्टर ।

मधुर भंडारकर 
यह सफलता की कहानी एक  एसे लडके की है जिसका बच्पन संघर्ष मे बीता ' फिर भी उसने अपने लक्ष्य को पा कर ही दम लिया । 26 अगस्त 1968 मे मायानगरी मुम्बई के उपनगर खार के एक गरीब परिवार मे जन्मे मधुर भंडारकर ।
मधुर जब  स्कूल मे पढ रहे थे ' उसी दोरान  उनके परिवार की आर्थिक दशा किन्हीं कारणों से बिगड़ गई । और मधुर को अपनी पढाई छोडकर काम धंधा करना पडा जिससे उनके परिवार का खर्च चल चल सके ' मधुर साइकिल से घर घर जा कर वीडियो केसिट बेचने का काम करने लगे । इस काम के दौरान वे फिल्म स्टारो के घर पर भी केसिट देने जाते थे ' उस समय के सुपर स्टार मिथुन  के घर भी मधुर केसिट पहुचाते थे ।
मधुर बच्पन से ही मेघावी थे एवं उन्हें फिल्म देखने का भी सोक था ' मधुर के मधुर संबंध फिल्मों से जुडे लोगों  के साथ थे ' इस फिल्मी माहौल मे रहने के कारण  एक डायरेक्टर ने मधुर को सहायक के तोर पर काम पर रख लिया । इस काम के दौरान मधुर ने फिल्म डायरेक्शन मे बहुत कुछ सीखा । इसके बाद मधुर को रामगोपाल बर्मा की फिल्म रगीला मे एक छोटा सा रोल मिला जिसे मधुर ने निभाया । फिर मधुर को एक  और डायरेक्टर के साथ सहायक डायरेकटर के रूप मे काम करने का मोका मिला ।
चाँदनी बार 'फिल्म
सन 2001मे मधुर के डायरेक्शन मे बनी फिल्म चाँदनी बार  आई । जिसमे मधुर के निर्देशन को काफी सराहना मिली ।और  उन्हें राष्ट्रीय पुरुस्कार से भी संम्मानित किया गया । फिल्म 'चाँदनी बार ' से प्रकाश मे आए इक्कीसबी सदी के श्रेष्ठ निर्देशक मधुर भंडारकर । इसके बाद मधुर के डायरेक्शन मे जो फिल्में बनी वे भी बहुत सफल रही । उनके डायरेक्शन मे बनी फिल्मों मे  सत्ता ' आन मेन  एट वर्क ' पेज 3 ' कॉरपोरेट ' टैफिक सिग्नल ' फेशन 'जेल ' दिल तो बच्चा है जी '  प्रमुख्य है ।उन्की ये सभी फिल्मे बहुत सफल रही । मधुर भंडारकर को  सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिला है । पटकथा लेखक  और फिल्म निर्देशक  मधुर भंडारकर  एक प्रशिद्ध हस्ती है ।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

एक रुपया बंद होगा ।

भारत की मुद्रा का एक रुपया का सिक्का  अब जल्दी ही बंद होने बाला है ।वह  इसलिए कि अब  एक रुपये मे मिलता ही क्या है । अब  एक रुपये की जरूरत नाम मात्र के लिए ही रह  गई है । यह  अनुमान लग रहा है कि 2017के अंत तक देश मे एक रुपये का चलन पूरी तरह से बंद हो जाएगा ।
एक रुपया मुल्य की चंद वस्तुएं ।
माचिस ' टॉफी ' पान का पत्ता ' शेम्पो शेशै ' खाने का चूना पाऊज ' छोटी सूई ' आदि ।
एक रुपया बंद होने पर भिखारियो को लाभ होगा ' फिर  उन्हे भीख मे सीधे दो रुपये ही मिलेगे ।
एक रुपया बंद होने पर सबसे जादा लाभ  उन वस्तुओं के निर्माताओ को होगा जो वस्तुएं आज  एक रुपये मे बिक रही है ' क्योंकि फिर  इन वस्तुओ की कीमत दुगनी यानी दो रुपये हो जाएगी ।✌✌
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गुरुवार, 22 सितंबर 2016

मच्छर भगाने की घरेलू दबाई ।

मुफ्त मे मच्छरो से बचने का सबसे सरल  उपाय ।
मलेरिया ' डेंगू ' चिकिनगुया जैसी घातक बीमारियां फेलाने बाला मचछर ' आदमी का सबसे बडा दुश्मन है ।
इससे बचने के लिए हमे ना जाने क्या क्य  उपाय करने पडते है । कॉयल जलाना ' क्रीम ' लगाना ' पंखा और मच्छर दानी मे सोना आदि । इन सभी उपायों के बाद भी मच्छरों से बचना कठिन होता है ।
मच्छर की घरेलू दबा बनाना ।
यह दबा बनाने का तरीका यह है _ सरसों के तेल मे नीम की पत्तियों को आग पर पकाने के बाद तेल को ठंडा होने पर ' छानकर शीशी मे भर ले । बस तैयार है मच्छर भगाने की दबाई ।
इस तेल की मालिश शारीर पर करने के बाद मच्छर काटना तो दूर पास भी नही आते ' इस तेल का सबसे बडा दूशरा फायदा यह है की इससे अन्य त्वचा रोग भी नही होते जैसे दाद ' खाज ' खुजली ' फुन्सी आदि । गुप्त अंगो की पसीने बाली खुजली का तो यह तेल  आजमाया हुआ राम बॉण  इलाज है ।क्योंकि इसमे नीम जो है ।इस तेल का शरीर पर कोई हानिकारक असर नही पडता ।
मच्छरों से बचने का यह घरेलू नुस्खा 'एक  आजमाया हुआ कारगर  उपाय है ' और वह भी बगेर पैसा का जिससे कॉयल पर  खर्च होने बाले रुपये भी बचते है ।
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धोती पर संकट के बादल ।

भारतिय पुरुष परिधान 'धोती कुरता और रूमाल ' अब लुप्त होने की कगार पर खडे है । पिछले दो तीन दशक से भारतीय संस्कृति के पहनावे पर पाश्चात्य संस्कृति के बढते चलन के कारण धोती खोती जा रही है । आज का युवा जीन्स पहनना अधिक पसंद कर रहा है । शहरों मे तो बूढे स्त्री पुरुष भी जीन्स टीसर्ट पहने अधिक देखे जाते है ।केवल गांव मे ही 60 साल से जादा आयु के लोग धोती कुरता पहनते है ' इन बूढो के समाप्त होते ही धोती गांव से भी विदा हो जाएगी । पर कुरता रहेगा क्योंकि कुरते ने जीन्स के साथ रिस्ता बना लिया है । साफा का तो पता ही नही कब गले से गिर गया । आने बाले 30 साल बाद धोती बाले लोग केवल फोटो मे ही देखे जाएगे ।
स्वदेशी कार्यक्रम
एक फिल्म का बहुत सुन्दर केरेक्टर है ' स्वदेशी पर जो कुछ  इस प्रकार है _ स्वदेशी कार्यक्रम मे मंच पर  एक मंत्री भाषण देता है स्वदेशी पर  इसी बीच  एक जीन्स टी सर्ट बाला लडका मंच पर  आता है और मत्री के हाथ से माइक बोलता है की मे आपकी बात का समरथन करते हुए ' अभी इसी वक्त  इन विदेशी कपडो का बहिस्कार करता हू ' यह कहते हुए यूवक  अपने जीन्स टी सर्ट उतार कर फेक देता है ' जिस पर लोग तालियाँ बजाते  है ' तालियो की गडगडाहट खत्म होने पर फिर वह यूवक यह कहते हुए अपने अंडरवियर की तरफ हाथ बढाता है की यह भी विदेशी है ' स्वदेशी तो चड्डी है ' और मे इसका भी बहिस्कार करता हू ' यह सुनकर जनता नहीSs  नहीSs  चिल्लाकर भागने लगे ।
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बुधवार, 21 सितंबर 2016

उज्जैन की छटा मे लगे चार चाँद ।

उज्जैन शहर भारत का सबसे पुराना एतिहासिक शहर है । इसका पुराना नाम 'उजेनी ' था ।भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ सांदीप मुनी से विध्या अधयन किया था । यह स्थान आज भी है जो सांदीपनी आश्रम के नाम से जाना जाता है ।

उज्जैन शहर का रामायण मे भी उल्लेख है ।कागभुशुण्डि गरूड संवाद ' मे कागभुशुण्डि गरुड को 27कल्प पहले के अपने एक जन्म की कथा सुनाते हु कहते है की _ उस समय के कलयुग मे मेरा जन्म अवध मे हुआ था । जव  अवध मे अकाल पडा तो मे 'उजेनी नगरी चलागया और वहाँ मेने कुछ संपत्ति पाई ।फिर मे वही रहकर शिव भक्ति करने लागा ।
इस संवाद से पता चलता है की उज्जैन कितने कल्प पुराना शहर है ।
उज्जैन अभी भी सुनदर शहर है । पर  अब  अति सुन्दर हो जाएगा । हाल ही मे सरकार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट जारी की है । जिसमे  मध्य प्रदेश को दो शहर शामिल है । उन्मे से एक  उज्जैन भी है ।  और  अब  जब  उज्जैन स्मार्ट सिटी बन जाएगा तो उसकी छटा मे चार चाँद लग जाएगे ।
उज्जैन के एक राजा हुए थे । बिकृमादित्य ' उन्होंने ही बिकृम संवत सन चलाया था । राजा बिक्रम  आदित्य का सिहासन  आज भी मोजूद है जो अब क्षति ग्रहस्त है ।
महाकाल ' की नगरी उज्जैन का महाकालेश्वर मदिर भगवान शिव के बारह ज्योत्रिलिंगो मे से एक है ।इसलिए यहाँ हर बारह बरष बाद सिंहस्थ मेला लगता है ।उज्जैन मे सबसे जादा शिव के मंदिर है ।यहाँ की क्षिप्रा नदी भी पावन नदियों मे से एक है ।
उज्जैन ने अतीत की अनेक मानव सभ्यताओ को अपने मे जिया है ।यह शहर साक्षी है मानव के सबसे पुराने इतिहास का ' इसने समय के कितने उतार चढाव देखे होगे 'कभी उज्जैन शहर भी दिल्ली जैसा विशाल और विकसित शहर रहा होगा ।सुन्दर भी होगा ।अब फिर समय चक्र उज्जैन को  एक सुन्दर शहर के रूप मे बनाकर भविष्य मे ला रहा है ।

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

चोकीगढ के किले मे 'पारसमणी' है !

चोकीगढ का किला _यह किला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले मे भोपाल जवलपूर राजमार्ग पर बाडी के 'बारना डेम ' मे एक पहाड़ पर बना है । कले पर जाने के लिए कोई सुगम रास्ता नही है । यह पहाड़ तीन तरफ से पानी मे घिरा है । केवल पूरव दिशा से किले के पहाड़ पर  एक पगडंडी जाती है । जो जंगल से होकर जाती है और यहाँ जंगली जानवरो का खतरा भी होता है । इसलिए इस किले पर बहुत कम लोग ही जाते है ।और यह किला सुनसान बीराने मे होने के कारण गुमनाम है । किले पर कोई पर्यटक नही जाते ' यहाँ केवल खोजी ' लोभी लोग ही जाते है ।
पर अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस किले को पर्यटन स्थल बनाने का निश्चय किया है ' और किले पर जाने के लिए रोड बनाने का भी आस्वासन दिया है । अब जल्दी ही चोकीगढ का किला प्रकाश मे आने बाला है ।
किले का इतिहास _यह किला सोलहवी सदी के आसपास का बना है ।यहाँ गोड बंश के राजा राज करते थे ।इस राज घराने के लोग  आज भी मोजूद है । टीकमशाह  और रज्जाक शाह दो भाई है जो सेमरी गाँव मे रहते है ।वह बताते है की देश गुलाम होने के बाद इस भाग पर भोपाल रियासत के नबाव का शासन था । यह नबाव  अभिनेता शेफ  अली खान के पूर्वज थे ।
पारसमणी_यहाँ का राजा किसानों सेकर के रूप मे लोहा लेता था 'जिसे वह सोने मे बदल लेता था ।क्योंकि उसके पास पारसमणी जो थी ।एक हमले के दोरान जब किले पर दुश्मन ने कब्ज़ा कर लिया ' तब यहाँ की रानी उस पारसमणी को लेकर बाउडी मे कुद कर मर गई । यह बाउडी किले के मुख्य दरवाजे के नीचे है । इसे माँनागन कहते है ।बताया जाता है की आज भी इसी माँनागन बाउडी मे है पारसमणी ।
जिसे ढुडने के लिए नबावी शासन मे नबाव ने इस बाउडी पर पानी खाली करने के लिए बडे बडे वाटर पंप रखवाए थे ।यह पंप आठ दिन तक लगातार चले पर बाउडी का पानी खत्म नही हुआ ' और बाउडी से विशालकाय सर्प बाहर निकलने लगे जिनहे देखकर नबाव के आदमी पंप चलते छोडकर भाग खडे हुए । और नबाव मणी खोजने मे सफल नही हो पाया ।
चोकीगढ के किले के तहखाने मे खजाना '
किले के तलघरे मे खजाना होने की बात भी कही जाती है । जो लोग  इस किले के तहखाने मे होकर  आए है वह बताते है की बहा भीतर कुछ नरकंकाल पडे है ।वहाँ भीतर  एक कक्ष भी है जिसका रहष्मय दरबाजा है ।इस कक्ष भे हमेशा उजाला रहता है ।और  इस तहखाने मे बडी भूलभुलाईया है जिससे इसमे भीतर जाने के बाद खजाना तो छोडो बाहर निकलना कठिन होता है ।और यहाँ बडा भयानक लगता है । इसी तहखाने के बंद कमरे मे खजाना होने की बात स्थानीय लोग बताते है ।
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सोमवार, 19 सितंबर 2016

अभिनेता ऋषिकपूर अवार्ड से सम्मानित हुए ।

प्रेम कुदरत के दुवारा मनुषय को दिया गया अनुपम  उपहार है । प्रेम की घटना हर मनुष्य के साथ घटती है । प्रेम  आत्म की प्यास है । प्रेम के बिना संसार सूना है । प्रेम मय जीवन स्वर्ग के समान है ।
अभिनेता ऋषि कपूर को मिला ' जयांटस  इंटरनेशनल  अवार्ड '
 भारतिय फिल्म जगत मे प्रेम  आधारित विषयों पर बनी  फिलमो मे कपूर परिवार के कलाकारो का पुराने समय से बहुत योगदान रहा है । पर पिछली सरकारो ने  कपूर परिवार को अबतक किसी अवार्ड से पुरूषकृत नही किया था । कपूर परिवार के सम्मान को लेकर  ऋषि कपूर मे पिछली सरकारों के प्रति कुन्ठा थी ।और  इसी वजह से उन्होंने एक बार यह वयान दिया था की _ सरकारी इमारते क्या किसी के बॉप की है जो उनके नाम राजनेताओ के नाम पर रखे है ।
पर  अब  इस बात की कमी को वर्तमान सरकार ने  पूरा कर दिया । कल मीडिया मे ऋषि कपूर को अवार्ड से सम्मानित होने का समाचार  आने पर ऋषि कपूर के चाहने बालो मे भी खुशी की लहर दोड  गई ।

कपूर घराना पहले पाक वाले हिस्से मे रहता था ।बटवारे के बाद कपूर परिवार माया नगरी मुम्बई मे आ कर बस गया ।
प्रमुख्य कपूर अभिनेता ।
कपूर परिवार के मुख्य अभिनेता अभिनेत्रियो मे ' राजकपूर ' शशिकपूर ' शम्मी कपूर ' दादा मुनि ' अनिलकपूर ' शक्तिकपूर ' ऋषिकपूर ' रणबीर कपूर ' करिश्मा कपूर ' करीना कपूर आदि के नाम मुख्य है ।
ऋषि कपूर अभनीत सुपरहिट फिल्मे है ।
बाबी ' चाँदनी ' नागिन ' बंजारन ' 'बडे घर की बेटी ' प्रेम रोग ' हिना ' आदि ।इन फिल्मों मे ऋषि कपूर का अभियान बहुत सराहनिय रहा है ।
कपूर परिवार के अभिनेताओ की सबसे बडी विषेसता यह रही की ' किसी भी कपूर अभिनेता ने अपने अभिनय की प्रशिद्धी का उपयोग राजनीती मे नही किया ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।