शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

निराकार के चित्रकार ।

कहा जाता है की जहाँ न पहुचे रवि वहां पहुचे कवि ' उसीतरह निराकार को भी आकार देता है चित्रकार । चित्रकार  अपनी कल्पना शक्ति से अदृश्य वस्तुओं का भी चित्र बना कर  उसे समझा देते है । उदाहरण के लिए किसी चित्रकार ने समय का चित्र वनाया है । समय  एक अदृश्य शक्ति है । पर चित्रकार ने उसे भी एक रूप दिया । इसी तरह के बहुत सारे चित्र है जैसे भारत माता का चित्र ' इंसाफ की देवी का चित्र और सभी हिंदू देवी देवताओं के चित्र चित्रकारो की कल्पना के ही रूप है ।
चित्रकार पिकासो - पिकासो के चित्रो की शैली तो सभी चित्रकारो से अलग है । पिकासो के चित्रो को देखने पर सिर चकरा जाता है । एक हाथ  उठाते हुए आदमी के चित्र मे अनेक हाथ दिखते है । वाह क्या कलाकारी है ।भारतिय  चित्रकार वासुदेव एस गायतोडे की एक पेंटिंग करीब 30 करोड रूपए मे बिकी थी ।भारत के मुख्य चित्रकारो मे -चित्रकार मोहिती ' चित्रकार राजा रवि वर्मा' चित्रकार मकबूल फिदा हुसेन 'चित्रकार शिवाजी तुपे आदि नाम है ।
अब बात कारटूनकारो की _ कारटूनिस्ट भी कमाल के जादूगर होते है । एसे एसे रूप पेस करते है जिनकी आम लोग कल्पना भी नही कर सकते 'मिक्की माऊस ' को ही देखो ।भारत के फेमस कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण जिनका हाल ही मे दिहात हो गया । उनहोने चाचा चोधरी के कॉमिक्सो मे सावू और चाचा चोधरी के काल्पनिक पात्रो को जन्म दिया ।
आज काजल कुमार भी एक  उभरते कारटूनकार है जिनके कार्टून भी खूव पसंद किये जा रहे है । काजल कुमार राजनेताओ के कार्टून खूव बनाते है जो व्यंग आत्मक होते है जिन्हें देखकर बडी हसी आती है । कार्टूनिस्टो की भी एक  अपनी अलग ही कलाँ है ।
इसाफ की देवी 
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सोमवार, 21 नवंबर 2016

भोजन का रहष्य ।

भोजन आदमी की पहली जरूरत है ।ईश्वर चाहता तो वह मनुष्यों को बगेर भोजन के मी जिला सकता था जैसा की सांडा जानवर हवा पीकर जीता है ।पर  ईश्वर ने अपने सबसे उत्तम प्राणी आदमी को भी कुदरत के संचालन मे भागीदार बनाया । आदमी सोचता है की वह भोजन करता है ।जवकी यह सच नही है भूख कुदरती पैदा होती है और भोजन भी कुदरत ही कराती है ।आदमी को 12 घंटे के लिए भोजन  उधार देती है कुदरत फिर बापस ले लेती है । आदमी को केवल मुह मे भोजन के जीभ से छूने का सुखद  अहसास होता है जिसे म स्वाद कहते है ।
मनुष्य भी अन्य पशु पक्षीयो की तरह कुदरत का ही काम करता है वह पेड पौधों के लिए खाद  और कॉर्बनडाइ अॉक्साइड बनाता है । मैने पढा है की एक राजा हुआ था जो केवल स्वाद के लिए ही भोजन खाता था वह दिन भर कुछ ना कुछ स्वादिष्ट चीजे खाता ही रहता था और फिर  औषधिया खाकर  उलटी कर देता था ।वह जल्दी मर गया था ।आदमी को भोजन भी मारता है और भूख भी मारती है । इसलिए आदमी को केवल जीने के लिए भोजन करना चाहिए नाकी भोजन करने के लिए जीना चाहिए ।
आम तोर पर भोजन तीन प्रकार के होते है । सात्विक ' राजसिक  और तामसिक भोजन ' सात्विक भोजन फलाहार होता है । राजसिक भोजन मे छप्पन प्रकार के भोज  आते है । तामसिक भोजन मे लहसुन ' प्याज 'और गरम ' चटपटे 'कडबे स्वाद बाले भोजन आते है ।
कुदरत ने आदमी के लिए साखाहार मे विभिन्न प्रकर की चीजे एक से बढकर  एक  अलग  अलग स्वाद मे पैदा की है ।फिर भी ना जाने क्यों आदमी माशाहार करता है शायद  आदमी बिछिप्त है ।क्योंकि माशाहार तो भिष्टा की श्रेणी मे आता है । ना उसमे स्वाद है । माशाहार मे स्वाद पैदा करने के लिए भी शाखाहारी मशाले डाले जाते है । माशाहार के विषय पर हमने रिसर्च किया और बडे बडे विदवानो के विचार जाने बहुत खोज बीन की सभी जगह माशाहार को अनुचित ही माना गया है । हॉ इस बिषय मे एक बात जरूर मिली की अगर  आदमी को कई दिनो तक शाखाहारी भोजन खाने को ना मिले और  एसा लगने लगे की वस  अब जान निकली तो फिर इस स्थित मे मासाहार करना उचित माना गया है । या फिर अपने आप मरे हुए जीव को भी खाया जा साकता है ।किसी भी जीव को मारना या मारकर खाना पाप की श्रेणी मे आता है । आदमी की तरह ही हर जीव जन्तू को इस दुनिया मे जीने का अधिकार है फिर  उनका यह  अधिकार आदमी किस हक से छीनता है । हॉ यदि आदमी एक भी जीव को पैदा करके दिखाए तो शायद उस जीव को  मारने का अधिकार उसे मिल सकता है ।
अंडा खाना मुरगी का रजस्रव खाना है ।शुरू के आदमियों ने मुर्गे को रात मे समय का पता बताने के लिए पाला होगा क्योंकि उस समय घडी तो थी नही ।और मुरगा सुवह से दो घंटे पहले एक निस्चित समय पर रोज बोलता है । इसलिए मुरगी पालन का आरंभ हुआ होगा । पर  आज मुरगी पालन माशारार के लिए होता है ।
मछली का खेल _ मछली पानी मे बहुत सुन्दर दिखाईदेती है उसे पकडने को मन करता है । पुराने समय मे मछली पकडने का खेल मनोरजन के लिए खेला जाता रहा होगा । फिर बाद मे लोगो ने खेल के दोरान पकडी हुई मछलियो का उपयोग खाने के लिए करना आरंभ किया होगा जो अब भी जारी है ।
वैज्ञानिक मानते है की मनुषय की आंत  और दांत दशाखाहार के लिए बने है पर फिर भी आदमी उनका दुर  उपयोग कर रहा है ।
आज दुनिया मे हर जीव जंतू को खाने वाले लोग मोजूद है । चीटे की चटनी ' मेडक का अचार ' सॉप की सबजी '  कीडे मकोडे तक खाने वाले लोग भी संसार मे है ।
माशाहारी आदमी मे शाखाहारी के मुकावले दया का भाव कम होता है ।जैसा खाओ अन बैसा बने मन ।

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शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

नरेंद्र मोदी 'भारत भाग्य विधाता है ।

नरेंद्र मोदी _आजादी के बाद नरेंद्र मोदी भारत के एकमात्र एसे प्रधानमंत्री है ' जिन्हें अगर भगवान कहा जाए तो शायद गलत नहीँ होगा । देश हित मे जितना काम पिछली सरकारो ने पिछले 65 सालो मे नहीं किया 'उससे भी जादा काम मोदी सरकार ने महज ढाई साल मे कर दिखाया है । जी . एस .टी. ' कालाधन बापसी ' सर्जीकल स्ट्राइक ' इन सभी कामो से देश की 90% जनता मोदी सरकार से खुश है 'और नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रही है ।
नरेंद्र मोदी ने अपने अभी तक के कार्यकाल मे जो सबसे बडा काम देश हित मे किया है 'वह है 'नोट बंदी '  नोट बंदी करना कोई छोटा काम नही है 'मुद्रा समाज की रगों मे दोडता हुआ खून होता है जिसे बंद करने से समाज मे हाहाकार की स्थित उत्पंन हो सकती है । देश के अर्थशास्त्री भी यह कह रहे हे की इतना बडा कदम शाहसी प्रधानमंत्री ही उठा सकता है । नोट बंदी ' से होनेवाली कठिनाईयो केबावजूद भी देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के इस फेसले का स्वागत किया है ।क्योंकि आनेवाले साल मे इससे देश को बडा लाभ होगा ।
जिन कामो के बारे मे पिछली सरकारो ने सोचा तक नही था ' देश हित मे वह काम नरेंद्र मोदी सरकार कर रही है ।जिससे प्रभावित होकर देश की जनता नरेंद्र मोदी की सराहना कर रही है ।वाह क्या बात है 'प्रधानमंत्री हो तो नरेंद्र मोदी जैसा ।अपने कारनामो की बदोलत  आज नरेंद्र मोदी लोगो के दिलों पर छा रहे है । दुनिया के देश भी नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री की वजह से भारत की तरफ  आकृशित हो रहे है ।
नरेंद्र मोदी ' नामक सितारा काश प्रधानमंत्री के रूप मे भारत की धरती पर पहले चमका होता तो आज देश की तकदीर  और तस्वीर कुछ  और ही होती ।पर  अब भी कुछ नही बिगडा है देर  आए दुरुस्त  आए ।यदि यह  आदमी अगली पंचवर्षी मे भी भारत का प्रधानमंत्री रहे और  उसकी सरकार देश हित मे एसी तरह से काम करती रहे तो भारत तेजी से विकाश करते हुए दुनिया मे पहले नंबर पर पहुंच जाएगा । इसमे कोई शक नही की मोदी सरकार के आने के बाद  एक नए भारत का उदय हुआ है ।नये भारत के निर्माण मे मोदी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है । और वे भारत को विश्व गुरू बना कर ही रहेगे ।
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गुरुवार, 17 नवंबर 2016

बच्चे पढाई मे तेज कैसे बने ।

बच्चे कल का भविष्य होते है और हर माता पिता चाहते है की उनके बच्चे पढे आगे बढे एवं पढ लिखकर बडे आदमी बने । बच्चे पढाई मे तेज बने इसके लिए बच्चो और  उनके अभिभावकों को कुछ बातो पर  अमल करना जरूरी है ।जैसे _

  • बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूरी तरह से बिकसित हो जाने के बाद ही उन्हें पढाना शुरू करना चाहिए । कुछ माता पिता अपने बच्चो को कम  आयू मे ही पढाना शुरू कर देते है जिससे बच्चे आगे जा कर पढाई मे कमजोर पड जाते है ।
  • बृम्ही बूटी _ बृम्ही आयूर्वेद मे दिमाग बढाने की सबसे उत्तम औषधि मानी जाती है ।इसका स्वाद कडवा होता है इसलिए इसे दूध मे मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का दिमाग तेज हो जाता है ।
  • बच्चो को बार बार पढने के लिए नही कहना चाहिए । क्योंकि बार बार यह बात दोहराने से इस  आदेश का अशर कम हो जाता है और फिर बच्चे सुनते ही नही है ' सोचते है की मम्मी तो वस  एसे ही चिल्लाती रहती है ।
  • बच्चों के सभी कामो का टाइम टेविल एक तख्ती पर लिख कर  उनके पढाई वाले कमरे की दीवार पर लगाना चाहिए ' जिसमे बच्चो के सुवह  उठने से रात सोने तक के सभी कामो का समय फिक्स होना चाहिए ।जैसे _ सुवह 6 बजे सोकर  उठना ' और 7बजे तक पढना ' 7 से 7:30 तक चाय नास्ता ' आधे घंटे खेलना '8 से 9 बजे तक कोचिग ' 9 से 10 बजे तक खाना नहाना 10बजे स्कूल जाना । फिर शाम 4 बजे स्कूल से आने के बाद 5 बजे तक खेलना '5 से 6बजे तक होम वर्क करना ' 6 से 7 बजे तक पूजा मे भाग लेना ' 7 से 8 बजे तक खाना पीना '8 से10 बजे तक टीवी देखना और 10 बजे सोना ।इस तरह की समय सारणी के अनुसार बच्चे अपने सभी काम  उत्साह के साथ समय पर करते है और पढाई मे आगे रहते है ।
  • सुवह नीद से जागते ही बिस्तर मे ही पढाई करने से पढाई मे मन भी लगता है और  अध्ययन की हुई बाते याद भी रहती है क्योंकि इस समय दिमाग ताजा रहता है ।यही समय पढाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है ।
  • बार बार पढकर रटटू तोते की तरह रटने को पढाई नही कहा जाता । पढाई करने का मतलव होता है की किसी भी पाठ को एक या दोबार ध्यान से पढकर समझ लेना और फिर  उसे हमेशा याद नही रखना पडता वल्की अच्छी तरह से समझ मे आ जाने के बाद वह पाठ हमेशा याद रहता है ।
  • बच्चो को कभी भी शीर्ष आशन नही करना चाहिए और नाही लेटकर पढना चाहिए एसा करने से दिमाग कमजोर होता है ।
  • बच्चों को हमेशा एकांत  और साफ स्थान पर  आसन याने दरी बगेराह बिछाकर  उसपर बैठकर ही पढना चाहिए।नंगी जमीन पर बैठकर पढने से सारी पढाई जमीन मे चली जाती है एसा हमारे अध्यापको का कहना था ।
  • बच्चे अपने पढाई वाले स्थान पर बुद्धि की देवी माता सरस्वती का चित्र लगाकर रखे और नहाने के बाद सुवह हाथ जोडकर माता से ज्ञान का वर मागे । सरस्वती के भंडार की बडी अपूरम बात 'ज्यो ज्यो खरचे त्यो त्यो बढे बिन खरचे घट जाए ।💁👵👬💃📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📖📰📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕

बुधवार, 9 नवंबर 2016

हजार पॉच सौ के नोट बंद ।

भ्रष्टाचार ' काला धन  और जाली नोटो की रोकथाम  करने के लिए भारत सरकार ने 9 नवंबर 2016 से देश मे हजार  और पॉच सौ के नोट का चलन बंद कर दिया है । पर फिर भी सरकारी अस्पताल ' दबा की दुकान ' किराना दुकान ' पेट्रोल पंप '  पर  एवं रेल टिकट ' सरकारी बस टिकट ' हबाई जहाज टिकट आदि कुछ स्थानो पर 11 नवंबर की आधी रात तक  इन नोटो का उपयोग हो सकेगा । इसके बाद हजार  और पॉच सौ के नोट बैको और पोस्ट अॉफिसो मे 30 दिसंबर 2016 तक जमा होगे । जो लोग किन्ही कारणो से 30 दिसंबर तक  अपने हजार पॉच सौ के पुराने नोट बैक मे जमा नहीं कर पाएगे उनहे फिर  अपने परिचय पत्र दिखाकर बैक मे पुराने नोट जमा करने का अंतिम समय मार्च2017 तक दिया गया है ।पर लेनदेन मे हजार  और पॉच सौ के नोट का उपयोग 9 नवंबर से ही कानूनी बद है ।

भ्रष्टाचार के मामले मे भारत दुनिया मे आज 76 वे नम्बर पर है । एवं भारत मे आज जाली नोटो का चलन  आधे से भी अधिक है । यह हजार पॉच सौ के जाली नोट भारत मे पडोसी मुल्क पकस्तान से आए है जिनहे घुसपेठियो ने भारत मे चलाया है । यह जाली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे है । इन्हीं सब कारणो से भारत सरकार ने अपनी मुद्रा व्यवस्था मे सुधार करने के लिए देश मे हजार  और पॉच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद कर दिया है । इनके स्थान पर नये रूप रंग के हजार ' दो हजार ' और पॉच सौ के नये नोट सरकार जल्द ही जारी करेगी ।
टालस्टाय का विचार _ टालस्टाय का मत था की दुनिया मे मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । क्योंकि सभी उपदृव की जड मुद्रा ही है । इस मत से गॉधीजी भी सहमत थे और वह चाहते थे की भारत मे भी पहले जैसी वस्तु विनियम बिधि लागू होना चाहिए । मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । पर काश  एसा करना संभव होता तो दुनिया स्वर्ग बन जाती ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

बेहरा बनने के लाभ ।

👂🚿 समाज मे कुछ होशियार लोग अपने कानो की विकलांगता का झूठा प्रमाण  पत्र डॉक्टरो से बनवा लेते है । क्योंकि डॉक्टर के पास कानो की विकलांगता पता करने का कोई कारगर  उपाय नही होता एसे मे वह मरीज के कानो मे एक  आवाज आने वली मशीन लगाकर मरीजों से ही पूछते है की कुछ सूनाई दे रहा है तो मरीज झूठ बोल देता है की नही कुछ नही सुनाई दे रहा है और डॉक्टर को मूर्ख बनाकर  उससे कान का विकलांग प्रमाण - पत्र बनवा लेते है ।यदि डॉक्टर को मरीज पर शक भी होता है तो उसे रिस्वत देकर भी डॉक्टर से यह प्रमाण पत्र बनवा लिया जाता है ।और फिर इस प्रमाण का उपयोग न्यायलय  और सरकारी योजनाओ का लाभ उठाने मे किया जाता है
समाज मे भी यह नकली बेहरे अपने बहरेपन का नाटक करके लोगो को खूब बेबक्कूफ बनाते है । यह  अपने फायदे की बाते तो सुन लेते है पर  अपने नुकसान की बाते अनसुनी करते है ।यदि इन बहरो पर किसी को शक भी होता है और वह पूछता है की आपको सुनाई देता है ' इस पर यह लोग कहते है की हॉ एक कान मे थोडा सुनाई देता है ।
इन नकली बहरो को असली बेहरा समझकर लोग  इनके सामने ही इनकी अच्छाई और बुराई की बातें करते है ।और यह बहरे इसका पूरा लाभ उठाते है जैसे _ निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाए ' बिन पानी बिन सावूना निरमल करें सुभाय '
इन नकली बहरो को अपने बेहरेपन के ढोग के कारण कभी कभी बडे राज़ की बाते भी पता चल जाती है जो बहुत लाभदायक होतीं है ।
🙉 बुरा मत सुनो 🙉

शनिवार, 5 नवंबर 2016

जंगल का भाग्य उदय ।

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🌳🌲🌴🌲पिछले दशकों मे जंगलों को बचाने के लिए भारत मे बहुत प्रयास किए गए ।यहाँ तक की चिप्पू आंदोलन तक चले जिनमे लोग पेड़ो को कटने से बचाने के लिए पैडो से चिपक जाते थे । पर  असफलता ही हाथ लगी और जंगल अधाधुंध कटते रहे ।क्योंकि उस समय ग्रामीण जन जंगलो पर ही निरभर होते थे  । उनके अधिकंश काम लकड़ी से ही पुरे होते थे ।
लकड़ी की काठी और काठी का घोडा _जैसे कृषि यंत्र हल ' बक्खर ' बैलगाडी ' आदि लकडी से ही बनते थे ।गाँव मे मकान भी लकडी से ही बनते थे ।फनीचर  और घर की बहुत सी वस्तुएं लकडी की ही उपयोग होतीं थी । मकानो के चारो तरफ  और खलिहानो की बागुड भी लकडी व कॉटेदार झाडियो से ही होतीं थी । चुल्हा जलाने मे भी लकडी का ही उपयोग होता था ।यहॉ तक की लोग दॉत साफ करने के लिए भी लकडी की दतून का उपयोग करते थे ।
बदलाव की बेला _अब गांव के जन जीवन मे भी समय के साथ बदलाव  आया है । अब कृषि के काम ट्रेक्टर से होते है । मकान पक्के बनने लगे है । बागुड की जगह तार फेंशिंग होने लगीं हैं ।लकडी के फर्नीचर और खिडकी दरवाजो एवं लकडी की सभी वस्तुओ की जगह  अब लोहे और प्लास्टिक के सामानो ने ले ली है ।लकडी के चुल्हो की जगह  अब गेस चुल्हे आ गए है । दतून की जगह  अब लोग बाबा रामदेव के मंजन से दॉत साफ कर रहे है ।
कागज  उधोग मे बॉस की लकडी की भारी खपत होती है जो अव कागज के घटते उपयोग के साथ बहुत घट जाएगी ।
जंगल मे मंगल _ दिन प्रति लकडी की घटती उपयोगिता को देखते हुए ' अव यह कहा जा सकता है की जंगलो के भाग्य उदय हो रहे है । और वह दिन दूर नही जब भारत के जंगल भी अफ्रीका के जंगलो की तरह घने होगें ' अब जंगल काटने वाले लक्कड चोर रहे और न ही लकडहारे बचे है । अव  एसा सुहावना समय है जंगलो के लिए जिसमे जंगल दिन दूने और रात चौगनी बढोत्री करेगे और जंगल मे मंगल होगा ।

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।