रविवार, 17 सितंबर 2017

नाम बडे और दर्शन छोटे ।

हिंदुस्तान मे हिन्दुओ के देवी देवताओ की एक बडी संख्या है । हिन्दुओं के अनुसार हिन्दु धर्म के कुल 33 करोड देबी देवता है । भारत मे मंदिरो की भी कमी नही है । हर गॉव मे दो चार मंदिर होते है । शहरो मे तो भारी लागत से बडे बडे मंदिर बनाए गए है तीर्थ स्थानो पर तो शाहर मे जितने मकान होगे उन्से कुछ ही कम मंदिर होगे । पहाड़ों की चोटियो पर मंदिर बने है । जिन्है देखने के लिए लंबी चढाई चढना पडता है ।कुछ फेमस मंदिरो के सामने तो हमेशा भारी भीड़ होती है ।जिसे देखकर लोग सोचते है अगर  इतनी संख्या मे लोग मंदिर देखने आते है तो जरूर भीतर कुछ चमत्कार होगा पर जब  भीतर जाकर देखते है तो पाते है वही साधारण सी मूर्ती है जो हमारे गॉव के मंदिर मे होती है ।मंदिर भी उसी ईंट पत्थर सीमेंट से बना है जिससे सभी मंदिर बने है ।कुल मिलाकर दूर के ढोल सुहाने होते है ।

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

सुपरहिट गाने ।

पुराने दोर से लेकर  आज तक के सबसे सुपरहिट गाने जो दिल को छू  जाते है और हमे प्रेम की गंगा मे बहाकर प्रेम के सागर मे डूबा देते है । तो आइए हम भी डूबे  प्रीत के इस सागर मे और महसूस करे अपने अपने प्यार के अहसास को  ।

मंगलवार, 12 सितंबर 2017

बीमार पर रिस्तेदारों की मार ।

हमारे समाज मे ब्यक्ति का बीमार होना किसी गुनाह से कम नही है ! क्योंकि हमारा समाज  इसकी कडी सजा देता .है ।     आइए जाने कैसे ।
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य  और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार  आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार  आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और  इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह  उसे देखने जरूर  आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार  आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार  आदमी की तबियत  और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर  आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है  तो समझो हमारा समाज  उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत  आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर  आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर  उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक  और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
💉💊💉💊💉💊⛄⛄🗿

रविवार, 16 जुलाई 2017

बोलो तो बात बने ।

चुप रहने से कुछ ना होगा ।
बोलो तो बात बने ।
मन की बात जुवा पर ना लाने कुछ ना होगा ।
मुह खोलो तो कुछ पता चले ।
अंजाम के डर से खामोस रहो तो कुछ ना होगा ।
हिम्मत से बोलो तो अंजाम मिले ।
बोलने से पहले ही मत सोचो जबाव न होगा ।
बोलकर तो देखो जबाव हॉ मिले ।
बोलने कीआजादी है बात कहना गुनाह न होगा ।
कोइ न सुने तो भी कहने मे हमारा क्या लगे ।
बात  आज ही आभी कहो कल कहने से क्या होगा ।
पता नही कल कैसी हवा चले ।
हक के मसले मे खामोसी से कुछ न होगा ।
आवाज उठाओ तो हक मिले ।
अनजान ठिकाना पुछने सकुचाने से कुछ न होगा ।
पता पूछो तो मंजिल मिले ।
मेरे लिखने से कुछ ना होगा ।
तुम पढो समझो तो बात बने ।

शनिवार, 1 जुलाई 2017

जीएटी भारत कीअर्थव्यवस्धा सुधार

एक देश एक टेेक़्स जीएसटी कानून भारत मे एक जुलाई से लागू हो गया है ।30 जून कीआधी रात कोभारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने घटी बजाकर  जीएसटी लागू किया ।

सोमवार, 19 जून 2017

कपडा कागज बैग बनाने का अवसर ।

भारत का दिल मध्य प्रदेश  अब पोलेथिन पन्नी के प्रदूषण से साफ हो रहा है । 24 मई2017 से मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  ने पन्नी के उपयोग पर रोक लगा दी है ।पन्नी का उपयोग करने बालो पर र्जुमाना लगेगा ।पन्नी की जगह कागज  और कपडे के बैग  उपयोग करने की सलाह दी जा रही है । अब पूरे भारत मे पन्नी का चलन बंद होने की पूरी संभावना है क्योंकि पोलेथीन पन्नी का प्रदूषण  अब चरम सीमा पर है । मध्यप्रदेश मे अब कागज  और कपडे के बैग की माँग बढने बाली है । यह समय कागज  और कपडे के बैग बनाने का उधोग लगाने का सुन्हरा अवसर है ।
👜 कपडा बैग बनाने का गृह उधोग बहुत कम लागत से स्थापित किया जा सकता है ।बस  इसके लिए एक सिलाई मशीन  जाहिए और सस्ते कपडे के थान ' लटठा और नेट के कपडे सस्ते पढते है । नेट का कपडा थोक मे कटनी से खरीदने पर सस्ता पढता है क्योंकि यहॉ नेट का कपडा बनता है । कपडे के बैग बनाने मे जादा झंझट भी नही है । इसकी मार्केटिग करना भी आसान होगा हर दुकानदार को इसकी जरूत पडेगी आखिर ग्राहक को किसी ना किसी थेले मे रखकर ही तो सामान देना होगा । कपडे की पोटली मे बॉधकर तो सामान दिया नही जा सकता है ' किराना बाले ' कपडे की दुकान ' सब्जी बाले सभी को कपडे के बैग रखना पढेगा अपने ग्राहको की सेवा के लिए ।

गुरुवार, 15 जून 2017

कंचन तेरी याद में ।

में जब भी कभी सुनता हू प्रेम के कहीं ' 
तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे ।

में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी '
 तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे ।

में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी ' 
तब नाइका मे तुम नजर  आती हो ' कंचन तेरी याद मे ।

में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी ' 
तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे ।

में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना ' 
मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे ।

मे पत्थर था तुम  कंचन हो पर फिर भी अभी '
पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे ।

मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह ' 
फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।

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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।